मानव सभ्यता के विकास में कुम्हारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. कहा जाता है कि कला का जन्म कुम्हार के घर में ही हुआ है. इन्हें उच्च कोटि का शिल्पकार वर्ग माना गया है.
आप सभी लोग जानते होंगे कि हम सभी किस वंश से सम्बंध रखते है अगर नही भी तो सुनये हम सभी ब्रहमा के पुत्र दक्ष प्रजापति के वंशज है ये पुराणों मे लिखा हुआ है।दक्ष प्रजापति यजुर वैद के बहुत अच्छे विदवान थे। एक दिन ब्रहमा जी ने खुश होकर उन्हें प्रतिष्ति पद दे दिया।उन्हे इस पर बहुत गर्व हुआ और एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। सभी ऋषि मुनियों और देवताओ को आमंत्रण दे दिया गया। सभी ऋषि मुनी और देवता महा यज्ञ में पद्धारे और उन्होने अपना अपना स्थान ग्रहन किया। जेसे ही राजा दक्ष मंडप में पधारे सभी ने खड़े होकर उनका आदर सतकार किया लेकिन ब्रहमा जी और शिव जी अपने स्थान पर बैठे रहे। ये बात दक्ष प्रजापति को अच्छी नही लगी और उन्होंने कहा कि शिव जी मेरे दामाद हे उन्होने मेरा आदर नही किया और इसलिए उन्हें इस महा यज्ञ में भाग लेने का अधिकार नही है। शिव जी ये सब शांत भाव से सुन रहे थे लेकिन नंन्दी को ये बात बिलकुल भी अच्छी नही लगी और उसने कहा हे दक्ष तुम्हे अपनी पदवी पर गर्व है तुम भगवान शिव को केवल अपना दामाद न समझों बलकि तुमने तो ये बात कह कर उनका अनादर किया है। इसलिए मै तुम्हे शाप देता हू तुम्हारा समस्त वंश कलयुग मे ब्रहमण के नाम से नही जाना जाएगा। तुम्हारा वंश गैर ब्रहमण से जाना जाएगा