मानव सभ्यता के विकास में कुम्हारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. कहा जाता है कि कला का जन्म कुम्हार के घर में ही हुआ है. इन्हें उच्च कोटि का शिल्पकार वर्ग माना गया है.
एक अन्य कथा के अनुसार, दक्ष प्रजापति भगवान शिव के ससुर और ब्रह्मा जी के पुत्र थे. ब्रह्मा जी ने उन्हें एक प्रतिष्ठित पद पर स्थापित किया था जिससे उनके अंदर अहंकार उत्पन्न हो गया. एक बार दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश समेत अन्य देवी-देवता भी पधारे. जब दक्ष प्रजापति पधारे तो सभी ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया. लेकिन ब्रह्मा जी और शिव जी खड़े नहीं हुए. इस बात से दक्ष प्रजापति क्रोधित हो गए उन्होंने कहा ब्रह्मा जी तो हमारे पिता है, लेकिन शिव हमारे दामाद हैं, उन्हें हमारे सम्मान में खड़ा होना चाहिए था. उन्होंने शिवजी को अपमानित किया. इससे नंदी क्रोधित हो गए और दक्ष प्रजापति से कहा आप इस तरह से महादेव का अपमान नहीं कर सकते. नंदी ने दक्ष प्रजापति को श्राप दिया कि आपके वंशज का ब्राह्मण से पतन हो जाएगा और उनका स्तर धीरे-धीरे गिरने लगेगा. इस प्रकार से राजा दक्ष के वंशज से अलग समाज का निर्माण होने लगा, जिसे हम आज कुम्हारिया प्रजापति के नाम से जानते हैं.