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राम मंदिर का दूसरा नाम "श्रीराम जन्मभूमि मंदिर" है। यह मंदिर आयोध्या में स्थित है और इसे भगवान राम के जन्मस्थल के रूप में माना जाता है। इसे "राम मंदिर" के अलावा भी कई उपनामों से जाना जाता है, जैसे कि "श्रीराम जी मंदिर," "अयोध्या मंदिर," और "राम जन्मस्थल मंदिर"।
प्रजापति समाज

कुम्हार समाज का इतिहास

कुम्हार भारत, पाकिस्तान और नेपाल में पाया जाने वाला एक जाति या समुदाय है. इनका इतिहास अति प्राचीन और गौरवशाली है. मानव सभ्यता के विकास में कुम्हारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. कहा जाता है कि कला का जन्म कुम्हार के घर में ही हुआ है. इन्हें उच्च कोटि का शिल्पकार वर्ग माना गया है. सभ्यता के आरंभ में दैनिक उपयोग के सभी वस्तुओं का निर्माण कुम्हारों द्वारा ही किया जाता रहा है. पारंपरिक रूप से यह मिट्टी के बर्तन, खिलौना, सजावट के सामान और मूर्ति बनाने की कला से जुड़े रहे हैं. यह खुद को वैदिक ‌भगवान प्रजापति का वंशज मानते हैं, इसीलिए ये प्रजापति के नाम से भी जाने जाते हैं. इन्हें प्रजापत, कुंभकार, कुंभार, कुमार, कुभार, भांडे आदि नामों से भी जाना जाता है. भांडे का प्रयोग पश्चिमी उड़ीसा और पूर्वी मध्य प्रदेश के कुम्हारों के कुछ उपजातियों लिए किया जाता है. कश्मीर घाटी में इन्हें कराल के नाम से जाना जाता है. अमृतसर में पाए जाने वाले कुछ कुम्हारों को कुलाल या कलाल कहा जाता है. कहा जाता है कि यह रावलपिंडी पाकिस्तान से आकर यहां बस गए. कुलाल शब्द का उल्लेख यजुर्वेद (16.27, 30.7) मे मिलता है, और इस शब्द का प्रयोग कुम्हार वर्ग के लिए किया गया है.आइए जानते हैं कुम्हार जाति का इतिहास कुम्हार शब्द की उत्पत्ति कैैसे हुई?      

कलाकृतिया

प्रजापत समाज की कलाकृतिया

कुम्हार समाज

न्यूज कुम्हार समाज

लोक कथाएं

पंजाब में एक लोक मान्यता के अनुसार, ऋषि कुबा भिक्षा देने के लिए प्रतिदिन बीस

चाक पूजा

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श्री श्रीयादे माताजी का स्वर्णिम इतिहास

दोनों पति-पत्नी ने राजाज्ञा की परवाह ना करते हुए,संयम एवं नियम से अपने ईष्ट भगवान

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