मानव सभ्यता के विकास में कुम्हारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. कहा जाता है कि कला का जन्म कुम्हार के घर में ही हुआ है. इन्हें उच्च कोटि का शिल्पकार वर्ग माना गया है.
श्रीयादे माता, प्रजापति समाज की कुलदेवी हैं. मान्यता है कि हिरण्यकश्यप के आतंक के बीच भक्ति का दीपक जलाने और प्रहलाद को भक्ति का मार्ग दिखाने के लिए शिव और शक्ति ने सावंत और श्रीयादे के रूप में धरती पर जन्म लिया था. मान्यता है कि श्रीयादे माता ही वही स्त्री थीं जिनकी विष्णु भक्ति देख प्रह्लाद ने भी भक्ति शुरू की थी और इन्होंने प्रह्लाद को अपना दूध भी पिलाया था. श्रीयादे माता का जन्म स्थान गुजरात के तलाला में है